अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ, विधि व सावधानियां | Ardha Matsyendrasana in Hindi

ardha matsyendrasana benefits in hindi : आज के समय में शरीर को स्वस्थ व फिट रखना एक चुनौती बन गया है। वर्तमान समय में ज्यादातर लोग किसी न किसी शारीरिक या मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में शरीर को रोगों से बचाने व मानसिक रोगों से छुटकारा पाने के लिए योग सबसे अच्छा जरिया है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन (ardha matsyendrasana in hindi) योग का एक ऐसा आसन है जो शरीर को लचीला व मजबूत बनाने के साथ-साथ मानसिक तनाव को भी कम करने में मदद करता है।

कमर दर्द, मोटापा, खराब पाचन व मानसिक रोगों के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ (ardha matsyendrasana ke fayde) अच्छे हैं। साथ ही इसके अभ्यास से शरीर में लचीलापन भी बढ़ता है जिससे आगे चलकर मुश्किल योगासनों के अभ्यास में मदद मिलती है। इसलिए बिगिनर्स के लिए यह काफी असरदार व फायदेमंद योगासन हो सकता है, सभी योग बिगिनर्स को इसे अपने योग सेशन से जरूर शामिल करना चाहिए।

अर्ध मत्स्येंद्रासन के लाभ (ardha matsyendrasana benefits in hindi) प्राप्त करने के लिए जरूरी है की आप इसका अभ्यास सही विधि से ही करें। कुछ लोग गलत तरीके से इसका अभ्यास करते हैं जिस वजह से उन्हें अर्ध मत्स्येन्द्रासन के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं। गलत विधि से इसका अभ्यास करने से शरीर मूर्छित हो सकता है। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे और नुकसान (ardha matsyendrasana in hindi) के साथ-साथ इसके अभ्यास की विधि व इससे जुडी कुछ सावधानियों के बारे में भी बता रहे हैं।

अर्ध मत्स्येंद्रासन योग क्या है – Ardha Matsyendrasana in Hindi

अर्ध मत्स्येंद्रासन (ardha matsyendrasana) संस्कृत भाषा के चार शब्दों अर्ध, मत्स्य, इंद्र और आसन से मिलकर बना है। इसमें अर्ध का अर्थ “आधा”, मत्स्य का अर्थ “मछली”, इंद्र का अर्थ “राजा” और आसन का अर्थ “मुद्रा” है। कहा जाता हैं की अर्ध मत्स्येंद्रासन का नाम महान योगी मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर रखा गया है। जबकि इसे वक्रसन के नाम से भी जाना जाता है। अर्ध मत्स्येंद्रासन योग का एक बेसिक आसन है जो आपकी बॉडी को फ्लेक्सिबल बनाने में मदद करता है।

अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे व लाभ – Ardha Matsyendrasana Benefits in Hindi

Ardha Matsyendrasana in Hindi

1. रीढ़ व कमर को मजबूत बनाए

अर्ध मत्स्येंद्रासन (ardha matsyendrasana yoga in hindi) के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी लचीली और मजबूत होती है। साथ ही कमर दर्द  या पीठ दर्द में भी आराम मिलता है। हल्के कमर दर्द से जूझ रहे लोगों के इस आसन के अभ्यास से तुरंत आराम मिल सकता है। जबकि दिनभर एक जगह बैठकर कार्य करने वाले लोगों को कमर दर्द से बचने के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन योग का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

2. पेट की चर्बी कम करे

पेट की अतिरिक्त चर्बी कम करने के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (ardha matsyendrasana benefits in hindi) अच्छे हैं। इसके अभ्यास से पेट व कमर के आसपास खिंचाव महसूस होता है जिससे इस हिस्से की चर्बी तेजी से कम होती है। हालांकि मोटापा कम करने के लिए सही खानपान भी जरूरी होता है, इसलिए इस ओर भी अवश्य ध्यान दें।

3. पेट के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ

अर्ध मत्स्येंद्रासन करने से पेट भी स्वस्थ रहता है। इसके अभ्यास से पेट की गैस, एसिडिटी, अपच व कब्ज जैसी अनेक समस्याओं में काफी आराम मिलता है। आजकल खराब खानपान व शारीरिक गतिविधि के आभाव के कारण पेट से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिनसे बचने का योग सबसे अच्छा जरिया है। अर्ध मत्स्येंद्रासन जैसे योगासनों की मदद से पेट को स्वस्थ रखने में काफी मदद मिलती है।

4. तनाव व चिंता से राहत

तनाव व चिंता दूर करने के लिए भी अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (ardha matsyendrasana ke fayde) बेहद अच्छे हैं। इसके अभ्यास से दिमाग शांत रहता है और मन में चल रहे नकरात्मक विचार दूर होते हैं। आज के समय में मानसिक रोग तेजी से बढ़ रहे हैं ऐसे में आप योग को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाकर मानसिक रूप से भी फिट रह सकते हैं।

5. डायबिटीज के मरीजों के लिए

अन्य योगासन के साथ अर्ध मत्स्येंद्रासन योग (ardha matsyendrasana in hindi) के नियमित अभ्यास से डायबिटीज को भी नियंत्रित किया जा सकता है। सही खानपान के साथ नियमित अर्ध मत्स्येंद्रासन जैसे योगासनों की मदद से डायबिटीज को नियंत्रित रखने में काफी मदद मिल सकती है।

6. लचीलापन बढ़ाए

अर्ध मत्स्येंद्रासन (ardha matsyendrasana in hindi) शरीर को लचीला बनाता हैं और बॉडी पोस्चर में भी सुधार करता हैं। अधिक समय तक एक ही जगह बैठे रहने, गलत उठने या बैठने व शारिरिक गतिविधि के आभव के कारण बॉडी पोस्चर खराब होने लगता हैं ऐसे में अर्ध मत्स्येंद्रासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, वज्रासन व भुजंगासन आदि आसनों की मदद से आप इस पर सुधार ला सकते हैं। साथ ही ये सभी आसन शरीर को लचीला भी बनाते हैं।

7. पाचन के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे

अर्ध मत्स्येंद्रासन के लाभ पाचन संबंधी समश्याओं के लिए भी अच्छे हैं। इसके अभ्यास से पाचन शक्ति  मजबूत होती हैं जिससे भोजन का पाचन अच्छे से होता हैं और शरीर में खाया पिया लगने लगता हैं। फिट व स्वस्थ रहने के लिए पाचन शक्ति का मजबूत रहना बेहद जरूरी होता हैं ।

अर्ध मत्स्येंद्रासन करने का तरीका – Ardha Matsyendrasana Steps in Hindi

अर्ध मत्स्येंद्रासन योग के फायदे (ardha matsyendrasana benefits in hindi) जानने के बाद इसके अभ्यास का सही तरीका भी जानना जरूरी हैं। अगर गलत तरीके से इस आसन का अभ्यास किया गया तो  इससे शरीरी को क्षति भी पहुँच सकती हैं। अर्ध मत्स्येंद्रासन करने की विधि इस प्रकार है। 

  • सबसे पहले किसी खुली जगह पर योगा मैट बिछाकर दंडासन योग मुद्रा में बैठ जाएं।
  • अब बाएं पैर को मोड़े और इसे दाएं पैर के घुटने से उपर ले जाकर जमीन पर रखें।
  • उसके बाद दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़े।
  • अब सांस लेते हुए अपनी गर्दन को बाएं तरफ हल्का मोड़े, जितना आपसे संभव हो सकता हैं, कोई जोर जबरदस्ती न करें।
  • इस बीच अपने बाएं हाथ को जमीन पर टिका कर रखें।
  • अब आप अर्धमत्स्येन्द्रासन (वक्रासन) में आ चुके हैं, थोड़ी देर रुकें और फिर धीरे धीरे इस आसन से बाहर आजाये।
  • इस आसन को सही से समझने के लिए आप आर्टिकल में निचे दिया गया वीडियो भी देख सकते हैं।

अर्ध मत्स्येंद्रासन की सावधानियां

  • गर्भवती महिलाओं को इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए।
  • तेज कमर दर्द या पीठ दर्द में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • अगर रीढ़ की हड्डी से संबंधी कोई गंभीर समस्या हो तो इस आसन का अभ्यास न करें।
  • अगर हाल-फिलहाल में कोई बड़ा ऑप्रेशन हुआ हैं तो इस आसन का अभ्यास न करें।
  • पेट दर्द या अल्सर की बीमारी में भी इसका अभ्यास न करें।

अर्ध मत्स्येंद्रासन करने का सही समय

सुबह का समय अर्ध मत्स्येंद्रासन के अभ्यास के लिए सबसे उपयुक्त हैं। सुबह इसके अभ्यास से शरीर की अकड़न भी दूर होती हैं और शरीर में ऊर्जा का विकास भी होता हैं। साथ ही इस आसन का अभ्यास आप शाम के समय भी कर सकते हैं। एक बात का ध्यान रहे कि भोजन के तुरंत बाद इसका अभ्यास न करें।

अर्ध मत्स्येंद्रासन से पहले कौन से योगासन करने चाहिए

अर्ध मत्स्येंद्रासन योग करने से पहले आप ये योगासन कर सकते हैं।

अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) के बाद कौन से योगासन करने चाहिए

अर्ध मत्स्येंद्रासन के बाद आप यह आसन भी कर सकते हैं।

अर्ध मत्स्येंद्रासन योग में कितनी देर रुकना चाहिए

आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार इस आसन में 30 सेकंड से लेकर 60 सेकंड तक रूक सकते हैं। इस आसन को करते समय किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती न करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – FAQS

Q. क्या अर्ध मत्स्येंद्रासन और वक्रासन एक है

Ans. वक्रासन, अर्ध मत्स्येंद्रासन योग का ही एक रूप है। वक्रासन का अभ्यास अर्ध मत्स्येंद्रासन की तुलना में थोड़ा सरल होता है।

Q. क्या शाम के समय मत्स्येंद्रासन का अभ्यास कर सकते हैं

Ans. जी हाँ, शाम के समय भी इसका अभ्यास कर सकते है। ध्यान रहे की भोजन करने के कम से कम 3-4 घंटे बाद ही इसका अभ्यास करे।

Q. मत्स्येंद्रासन के क्या फायदे हैं

Ans. यह आसन शरीर को लचीला बनाने, पेट और कमर की चर्बी कम करने, पाचन को मजबूत बनाने, कमर को मजबूत करने और तनाव दूर करने में सहायक होता है।

Q. इस आसन का अभ्यास किसे नहीं करना चाहिए

Ans. तेज कमर दर्द या पेट दर्द से पीड़ित व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए या किसी योग विशेषज्ञ की देख-रेख में ही इसका अभ्यास करना चाहिए।

निष्कर्ष – Conclusion

अर्ध मत्स्येंद्रासन योग (ardha matsyendrasana in hindi) का एक बेहतरीन आसन है और इसके अभ्यास से आप कमर व रीढ़ की हड्डी को मजबूत बना सकते हैं साथ ही पेट से जुड़ी समस्याओं से भी चटकारा पा सकते हैं। इस आसन को अपने योग रूटीन में अवश्य शामिल करें।

उम्मीद है कि आपको इजी लाइफ हिंदी का यह लेख अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ (ardha matsyendrasana benefits in hindi) पसंद आया होगा और आपने इससे कुछ सीखा होगा। योग से जुड़ी इसी तरह की जानकारियों के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।

Disclaimer : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं हो सकता। इजी लाइफ हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है, इस तरह के किसी भी उपचार, दवा, डाइट इतियादी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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