Ardha matsyendrasana in hindi | आज के समय में शरीर को स्वस्थ व फिट रखना एक चुनौती बन गया है। वर्तमान समय में ज्यादातर लोग किसी न किसी शारीरिक या मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में शरीर को रोगों से बचाने व मानसिक रोगों से छुटकारा पाने के लिए योग सबसे अच्छा जरिया हैं। योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप एक हेल्थी लाइफ स्टाइल जी सकते हैं।
इजी लाइफ हिंदी के माध्यम से हम आपको कई योगासनों के बारे में बताते रहते हैं जिनका अभ्यास आप आसानी से घर पर ही कर सकते हैं। आज हम योग के एक और बेहतरीन योगासन ” अर्ध मत्स्येंद्रासन योग” (ardha matsyendrasana in hindi) के बारे में जानेंगे। अर्ध मत्स्येंद्रासन योग क्या हैं (what is ardha matsyendrasana in hindi), अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (ardha matsyendrasana benefits in hindi), अर्ध मत्स्येंद्रासन करने का तरीका और सावधानियों के बारे में जानेंगे।
- अर्ध मत्स्येंद्रासन योग क्या हैं
- अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) के फायदे
- अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) करने का तरीका
- अर्ध मत्स्येंद्रासन योग (वक्रासन) में सावधानियां
- अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) करने का सही समय क्या हैं
- अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) से पहले कौन से योगासन करने चाहिए
- अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) के बाद कौन से योगासन करने चाहिए
- अर्ध मत्स्येंद्रासन योग में कितनी देर रुकना चाहिए
- निष्कर्ष
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन विडिओ
- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल FAQ
अर्ध मत्स्येंद्रासन योग क्या हैं | Ardha Matsyendrasana in Hindi
अर्ध मत्स्येंद्रासन (ardha matsyendrasana yoga in hindi) संस्कृत भाषा के चार शब्दों अर्ध, मत्स्य, इंद्र और आसन से मिलकर बना हैं। इसमें अर्ध का अर्थ “आधा”, मत्स्य का अर्थ “मछली”, इंद्र का अर्थ “राजा” और आसन का अर्थ “मुद्रा” हैं। कहा जाता हैं की अर्ध मत्स्येंद्रासन का नाम महान योगी मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर रखा गया हैं। जबकि इस आसन को वक्रसन (vakrasana) के नाम से भी जाना जाता हैं।
अर्ध मत्स्येंद्रासन करने का तरीका और अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (benefits of ardha matsyendrasana in hindi) जानने के लिए लेख को आगे पढ़े।
अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) के फायदे | Ardha Matsyendrasana Benefits in Hindi

अर्ध मत्स्येंद्रासन योग का एक बेहतरीन आसन हैं और कई प्रकार की शारिरिक व मानसिक समस्याओं में इसका अभ्यास लाभप्रद होता हैं। अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (ardha matsyendrasana ke fayde) इस प्रकार हैं।
1. रीढ़ की हड्डी व कमर मजबूत बनती हैं
अर्ध मत्स्येंद्रासन (ardha matsyendrasana yoga in hindi) के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी लचीली और मजबूत होती हैं। साथ ही कमर दर्द या पीठ दर्द में भी आराम मिलता हैं। हल्के कमर दर्द से जूझ रहे लोगों के इस आसन के अभ्यास से तुरंत आराम मिल सकता हैं। जबकि दिनभर एक जगह बैठकर कार्य करने वाले लोगों को कमर दर्द से बचने के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन योग का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
2.पेट व कमर की चर्बी कम होती हैं
पेट की अतिरिक्त चर्बी कम करने के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (ardha matsyendrasana benefits in hindi) बेहतरीन हैं और इसके नियमित अभ्यास से पेट व कमर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है। साथ ही पेट की चर्बी या मोटापा कम करने के लिए खानपान भी जरूरी होता हैं, इसलिए पेट कम करने के योगासन के साथ-साथ अपनी डाइट पर भी पूरा ध्यान दें। एक सही डाइट और योगाभ्यास के जरिए आप मोटापे पर आसानी से नियंत्रण पा सकते हैं।
3. पेट की समस्याओं के लिए वक्रासन के फायदे
पेट की विभिन्न समश्याओं जैसे गैस, एसिडिटी, अपच व कब्ज के लिए भी अर्ध मत्स्येंद्रासन के लाभ (ardha matsyendrasana ke labh) अच्छे हैं और इसके नियमित अभ्यास से पेट की ये परेशानियां दूर होती हैं और पेट दुरूस्त रहता हैं। एक स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए पेट का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी होता हैं और योग इसके लिए काफी मददगार होता हैं।
4. तनाव दूर होता हैं
तनाव व चिंता दूर करने के लिए भी अर्ध मत्स्येंद्रासन योग करने के फायदे (ardha matsyendrasana ke fayde) बेहद अच्छे हैं। इसके अभ्यास से दिमाग शांत रहता हैं और मन में चल रहे नकरात्मक विचार दूर होते हैं। आज के समय में मानसिक रोग तेजी से बढ़ रहे हैं ऐसे में आप योग को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाकर मानसिक रूप से भी फिट रह सकते हैं।
5. डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी
अन्य योगासन के साथ अर्ध मत्स्येंद्रासन योग (ardha matsyendrasana in hindi) के नियमित अभ्यास से डायबिटीज को भी नियंत्रित किया जा सकता हैं। साथ ही डायबिटीज पर नियंत्रण पाने के लिए खानपान पर ध्यान देना भी जरूरी हैं।
6. शरीर लचीला बनाता
अर्ध मत्स्येंद्रासन (ardha matsyendrasana in hindi) शरीर को लचीला बनाता हैं और बॉडी पोस्चर में भी सुधार करता हैं। अधिक समय तक एक ही जगह बैठे रहने, गलत उठने या बैठने व शारिरिक गतिविधि के आभव के कारण बॉडी पोस्चर खराब होने लगता हैं ऐसे में अर्ध मत्स्येंद्रासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, वज्रासन व भुजंगासन आदि आसनों की मदद से आप इस पर सुधार ला सकते हैं। साथ ही ये सभी आसन शरीर को लचीला भी बनाते हैं।
7. पाचन के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे
अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (ardha matsyendrasana ke fayde) पाचन संबंधी समश्याओं के लिए भी अच्छे हैं। इसके अभ्यास से पाचन शक्ति मजबूत होती हैं जिससे भोजन का पाचन अच्छे से होता हैं और शरीर में खाया पिया लगने लगता हैं। फिट व स्वस्थ रहने के लिए पाचन शक्ति का मजबूत रहना बेहद जरूरी होता हैं ।
अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) करने का तरीका | Ardha Matsyendrasana Steps in Hindi
अर्ध मत्स्येंद्रासन योग के फायदे (ardha matsyendrasana benefits in hindi) जानने के बाद इसके अभ्यास का सही तरीका भी जानना बेहद जरूरी हैं। अगर गलत तरीके से इस आसन का अभ्यास किया गया तो इससे शरीरी को क्षति भी पहुँच सकती हैं। अर्ध मत्स्येंद्रासन करने की विधि इस प्रकार हैं।
- सबसे पहले किसी खुली जगह पर योगा मैट बिछाकर दंडासन योग मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब बाएं पैर को मोड़े और इसे दाएं पैर के घुटने से उपर ले जाकर जमीन पर रखें।
- उसके बाद दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़े।
- अब सांस लेते हुए अपनी गर्दन को बाएं तरफ हल्का मोड़े, जितना आपसे संभव हो सकता हैं, कोई जोर जबरदस्ती न करें।
- इस बीच अपने बाएं हाथ को जमीन पर टिका कर रखें।
- अब आप अर्धमत्स्येन्द्रासन (वक्रासन) में आ चुके हैं, थोड़ी देर रुकें और फिर धीरे धीरे इस आसन से बाहर आजाये।
- इस आसन को सही से समझने के लिए आप आर्टिकल में निचे दिया गया वीडियो भी देख सकते हैं।
अर्ध मत्स्येंद्रासन योग (वक्रासन) में सावधानियां
- गर्भवती महिलाओं को इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए।
- तेज कमर दर्द या पीठ दर्द में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- अगर रीढ़ की हड्डी से संबंधी कोई गंभीर समस्या हो तो इस आसन का अभ्यास न करें।
- अगर हाल-फिलहाल में कोई बड़ा ऑप्रेशन हुआ हैं तो इस आसन का अभ्यास न करें।
- पेट दर्द या अल्सर की बीमारी में भी इसका अभ्यास न करें।
अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) करने का सही समय क्या हैं
सुबह का समय अर्ध मत्स्येंद्रासन के अभ्यास के लिए सबसे उपयुक्त हैं। सुबह इसके अभ्यास से शरीर की अकड़न भी दूर होती हैं और शरीर में ऊर्जा का विकास भी होता हैं। साथ ही इस आसन का अभ्यास आप शाम के समय भी कर सकते हैं। एक बात का ध्यान रहे कि भोजन के तुरंत बाद इसका अभ्यास न करें।
अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) से पहले कौन से योगासन करने चाहिए
अर्ध मत्स्येंद्रासन योग करने से पहले आप ये योगासन कर सकते हैं।
- वज्रासन
- बद्ध कोणासन
- भरद्वाजासन
अर्ध मत्स्येंद्रासन (वक्रासन) के बाद कौन से योगासन करने चाहिए
अर्ध मत्स्येंद्रासन के बाद आप यह आसन भी कर सकते हैं।
- पश्चिमोत्तासन
- जानुशीर्षासन
- भुजंगासन
अर्ध मत्स्येंद्रासन योग में कितनी देर रुकना चाहिए
आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार इस आसन में 30 सेकंड से लेकर 60 सेकंड तक रूक सकते हैं। इस आसन को करते समय किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती न करें।
निष्कर्ष
अर्ध मत्स्येंद्रासन योग (ardha matsyendrasana in hindi) का एक बेहतरीन आसन हैं और इसके अभ्यास से आप कमर व रीढ़ की हड्डी को मजबूत बना सकते हैं साथ ही पेट से जुड़ी समस्याओं से भी चटकारा पा सकते हैं। इस आसन को अपने योग रूटीन में अवश्य शामिल करें। उम्मीद हैं कि आपको इजी लाइफ हिंदी का यह लेख अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे (ardha matsyendrasana benefits in hindi) पसंद आया होगा और आपने इससे कुछ सीखा होगा। योग से जुड़ी इसी तरह की जानकारियों के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन विडिओ | Ardha Matsyendrasan Video
Ardha Matsyendrasana Video – iYoga Class
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल FAQ
Q. क्या अर्ध मत्स्येंद्रासन और वक्रासन एक है
Ans. वक्रासन, अर्ध मत्स्येंद्रासन योग का ही एक रूप है। वक्रासन का अभ्यास अर्ध मत्स्येंद्रासन की तुलना में थोड़ा सरल होता है।
Q. क्या शाम के समय मत्स्येंद्रासन का अभ्यास कर सकते हैं
Ans. जी हाँ, शाम के समय भी इसका अभ्यास कर सकते है। ध्यान रहे की भोजन करने के कम से कम 3-4 घंटे बाद ही इसका अभ्यास करे।
Q. मत्स्येंद्रासन के क्या फायदे हैं
Ans. यह आसन शरीर को लचीला बनाने, पेट और कमर की चर्बी कम करने, पाचन को मजबूत बनाने, कमर को मजबूत करने और तनाव दूर करने में सहायक होता है।
Q. इस आसन का अभ्यास किसे नहीं करना चाहिए
Ans. तेज कमर दर्द या पेट दर्द से पीड़ित व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए या किसी योग विशेषज्ञ की देख-रेख में ही इसका अभ्यास करना चाहिए।
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