वज्रोली मुद्रा : फायदे, विधि व नुकसान | Vajroli Mudra in Hindi

vajroli mudra in hindi : शरीर को स्वस्थ व फिट रखने के लिए योग सबसे अच्छा उपाय है। योग के जरिए न सिर्फ शारीरिक समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है, बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। योग में कई आसन, प्राणायाम व मुद्राओं का जिक्र मिलता है जिनके बारे में हम आपको जानकारी देते रहते हैं। लेकिन आज हम एक ऐसी योग मुद्रा के बारे में जानेंगे जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं, इस योग मुद्रा का नाम वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra) है।

वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra) शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभप्रद है। इसके अभ्यास से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, पाचन बेहतर होता है और तनाव व अवसाद भी कम होता है। लेकिन वज्रोली मुद्रा के फायदे (vajroli mudra benefits in hindi) सबसे ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ के लिए हैं, इसके नियमित अभ्यास से शिग्रपतन व स्वप्नदोष जैसी समस्याओं को दूर करने और सेक्सुअल स्टैमिना को बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है।

वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra in hindi) हठ योग के अंतर्गत आती है। ऐसा माना जाता है की इसका अभ्यास काफी जटिल होता है योग में माहिर लोग ही इसका अभ्यास कर सकते हैं। लेकिन आप चिंता न करें इस लेख में हम आपको वज्रोली मुद्रा का आसान तरीका भी बता रहे हैं, जिसका अभ्यास हर कोई आसानी से कर सकता है। तो आइये जानते हैं की वज्रोली मुद्रा क्या है और वज्रोली मुद्रा कैसे करें?

वज्रोली मुद्रा क्या है – Vajroli Mudra in Hindi

वज्रोली संस्कृत भाषा के दो शब्द वज्र और ओली से मिलकर बना है। वज्र का अर्थ आकाशीय बिजली या फिर इंद्र देव का हतियार, जबकि ओली का अर्थ गोद होता है। वज्र एक नाड़ी का नाम भी है जो प्रजनन अंगों से शुरू होती है। ऐसा माना जाता है की वज्रली मुद्रा (vajroli mudra in hindi) के अभ्यास से लिंग, योनी व गुदाद्वार से संबंधित कई समस्याओं में लाभ मिलता है। लेकिन इसका अभ्यास काफी जटिल होता है।

कहा जाता है कि जब कोई योगी इस मुद्रा को सिद्ध कर लेता है तब वह अपने लिंग या योनी से पानी, दूध या शहद को भी ऊपर खींच सकता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितनी जटिल क्रिया होगी और इस क्रिया में कितने अभ्यास की जरूरत होगी। लेकिन हम आपको ऐसा करने की सलाह नहीं देंगे। आगे हम वज्रोली मुद्रा के लाभ व विधि विस्तार से जानेंगे।

वज्रोली मुद्रा के फायदे – Vajroli Mudra Benefits in Hindi

Vajroli Mudra Benefits in Hindi

1. यौन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद  

वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra hindi) यौन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है, इसके नियमित अभ्यास से कई प्रकार की यौन समस्याओं में लाभ मिलता है। स्वप्नदोष व शिग्रपतन जैसी समस्याओं के लिए वज्रोली मुद्रा के लाभ काफी अच्छे हैं। साथ ही इससे पुरुषों के सेक्सुअल ब्लॉक्स को खोलने में भी मदद मिलती है। इस तरह सेक्सुअल पावर बढ़ाने और बेहतर सेक्सुअल लाइफ के लिए यह अत्यंत ही फायदेमंद योग मुद्रा है।

2. पाचन शक्ति बढ़ाए

नियमित वज्रोली मुद्रा के अभ्यास से पाचन भी स्वस्थ रहता है। यह पाचन संबंधी समस्याओं के लिए बेहद ही प्रभाशाली योग मुद्रा है। इससे पेट की गैस, एसिडिटी, अपच व कब्ज जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है और पाचन तंत्र मजबूत रहता है। कमजोर पाचन से परेशान लोगों को पाचन शक्ति बढ़ाने के योगासन के साथ इसका अभ्यास भी अवश्य करना चाहिए।

3. पेट की कब्ज के लिए

पेट की कब्ज से परेशान लोगों के लिए भी वज्रोली मुद्रा के फायदे (vajroli mudra benefits in hindi) अच्छे हैं। इसके अभ्यास से पाचन दुरुस्त रहता है और पेट खुलकर साफ होता है। यह मल त्याग को आसान बनाने और पेट को स्वस्थ रखने में मददगार है। यदि अच्छे खानपान और अन्य योगासनों के साथ इसका अभ्यास किया जाए तो पेट की कब्ज को बिना किसी दवा व चूर्ण के दूर किया जा सकता है।

4. मजबूत प्रतिरोधक क्षमता

वज्रोली योग मुद्रा (vajroli yoga mudra) के अभ्यास का एक अन्य लाभ यह भी है की इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति मजबूत होती है और शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। यह शारीरिक शक्ति को बढाकर शरीर को कई प्रकार के गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को इसके अभ्यास से बेहद शानदार परिणाम मिल सकता है।

5. वज्रोली मुद्रा के मानसिक लाभ

वज्रोली मुद्रा के मानसिक लाभ भी काफी अच्छे हैं। इसके नियमित अभ्यास से मन शांत रहता है और मन में चल रहे बुरे व नकरात्मक विचार दूर होते हैं। साथ ही इससे एकाग्रता बढ़ती है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। इसके अलावा मानसिक तनाव, चिंता व अवसाद को कम करने के लिए भी वज्रोली योग मुद्रा का अभ्यास लाभकारी होता है।

6. मूत्र रोगों के लिए वज्रोली मुद्रा

मूत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी वज्रोली योग मुद्रा के परिणाम (vajroli mudra ke fayde) अच्छे हैं। इसके अभ्यास से बारबार पेशाब आना, रुक-रूककर पेशाब आना या पेशाब करते समय दर्द महसूस होना जैसी कई समस्याओं में लाभ मिलता है।

7. बवासीर के लिए वज्रोली मुद्रा के फायदे 

वज्रोली मुद्रा मलद्वार से संबंधित परेशानियों के लिए भी काफी उपयोगी है। इसके नियमित अभ्यास से बवासीर, अर्श व भगंदर जैसी समस्याओं का खतरा कम होता है, साथ ही इसके अभ्यास से इन बीमारियों के शुरुआती लक्षण भी कम हो सकते हैं। हालांकि मलद्वार से संबंधित किसी भी गंभीर समस्या में वज्रोली मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए या फिर चिकित्सक की सलाह से ही किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में इसका अभ्यास करना चाहिए।

8. ब्रह्मचर्य के लिए उपयोगी

वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra in hindi) ब्रह्मचर्य का पालन करने में भी फायदेमंद होती हैं। जो लोग ब्रह्मचर्य जीवन व्यतीत करना चाहते हैं उनके लिए वज्रोली क्रिया सबसे उत्तम हैं। वज्रोली मुद्रा द्वारा मन पर भी काबू पाया जा सकता हैं।

वज्रोली मुद्रा कैसे करें – How To Do Vajroli Mudra in Hindi

vajroli mudra in hindi

वज्रोली मुद्रा कई तरह से की जाती है, यह काफी जटिल क्रिया है इसलिए हम आपको केवल आसान तरीका बताने की कोशिश करेंगे जिसे आप आसानी से इसका अभ्यास कर सके। साथ जी वज्रोली मुद्रा से पहले आप कुछ योगासन और योग मुद्रा में निपुण हो जाए उसके बाद ही इस मुद्रा का अभ्यास करें, जिससे वज्रोली मुद्रा में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। 

वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra) से पहले आप तितली आसन, आनंद बालासन , सुप्त पादांगुष्ठासन, सेतु बंधासन, अधोमुख श्वानासन व वीरभद्रासन जैसे योगासन करें और इनमें निपुण हो जाएं, ये सभी आसन पेल्विक एरिया के लिए अच्छे होते हैं और इनसे पेल्विक एरिया मजबूत होता है।

पेल्विक दोनों जांघों के बीच का एरिया होता है, जो यौन क्रियाओं के लिए अच्छा होता है। साथ ही वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra in hindi) करने से पहले मूलबंध और अश्विनी मुद्रा भी अवश्य  करें। अश्विनी मुद्रा काफी हद तक वज्रोली मुद्रा जैसी ही है, दोनों में सूक्ष्म सा अंतर है।

वज्रोली मुद्रा की विधि : 1 (आसान विधि)

  • सबसे पहले किसी शांत जगह का चुनाव करें।
  • जमीन पर मैट बिछाकर पदमासन या सुखासन मुद्रा में बैठ जाएं।
  • 4 -5 बार गहरी सांस ले और थोड़ा रिलैक्स करें। 
  • फिर अपनी दोनों आंखें बंद करे दें। 
  • अपना पूरा ध्यान पेल्विक मसल (गुदाद्वार व अंडकोष के बीच का भाग) पर लगाए।  
  • जब आप सांस ले तो गुदाद्वार व अंडकोष के बीच के भाग को संकुचित करें, कुछ देर सांस रोक के रखें।  
  • धीरे धीरे सांस छोड़े और पेल्विक मसल को भी रिलैक्स दें। 
  • यह विधि आप 20-30 बार दोहराएं।

वज्रोली मुद्रा की विधि : 2 (जटिल विधि)

योग में वज्रोलि मुद्रा (vajroli mudra) की दूसरी विधि काफी जटिल है, आपको इसका अभ्यास नहीं करना है, यह विधि केवल आपकी जानकारी के लिए बताई जा रही है।

  • इस क्रिया में रबड़ की एक पाइप को लिंग के छेद के अंदर डाला जाता है। 
  • इसे रोज तब तक एक-एक इंच बढ़ाया जाता है, जब तक की यह 10 इंच तक अंदर न चली जाए।  
  • उसके बाद इस क्रिया को करने के लिए चांदी से बनी पाइप का इस्तेमाल किया जाता है।  
  • निरंतर अभ्यास से जब छेद बड़ा हो जाता है तब इस छेद से पानी को खींचने का अभ्यास किया जाता है। 
  • पानी के बाद दूध और फिर शहद जैसे तरल पदार्थों को भी खींचने का अभ्यास किया जाता है। 
  • दूध व शहद पानी से ज्यादा गाढ़ा होता है, इसलिए इसका अभ्यास बहुत ज्यादा मुश्किल होता है।

यह क्रिया आम लोगों की बस की बात नहीं है, इसे केवल योग में माहिर साधक ही कर सकते हैं। किसी योग विशेषज्ञ की उपस्थिति में ही यह क्रिया की जाती है। योग विशेषज्ञ के बिना आप इस क्रिया को करने की बिलकुल भी न सोचे, यह आपको क्षति पहुंचा सकती है।

वज्रोली मुद्रा की सावधानियां – Vajroli Mudra Precaution in Hindi

  • वज्रोली मुद्रा का अभ्यास खाली पेट ही करना चाहिए, खाना खाने के तुरंत बाद इस मुद्रा कभी भी इस मुद्रा का अभ्यास न करें। 
  • मल मूत्र त्यागने के बाद ही वज्रोली मुद्रा का अभ्यास करें। 
  • मलद्वार से संबंधित किसी गंभीर समस्या में यह वज्रोली मुद्रा न करें। 
  • नाभि में दर्द हो तो वज्रोली मुद्रा न करें। 
  • पेट दर्द या पेट ख़राब हो तो यह मुद्रा न करें। 
  • साथ ही किसी योग विशेषज्ञ की देख रेख में ही वज्रोली मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। 

वज्रोली मुद्रा कितनी देर करनी चाहिए

वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra in hindi) का अभ्यास आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही करे तो बेहतर होगा, इसके अभ्यास के दौरान शरीर के साथ किसी प्रकार की कोई जोर दबरदस्ती करने की कोशिश न करें। जितनी देर आप बिना किसी परशानी से इसका अभ्यास कर पाएं, उतनी देर कर सकते हैं। लेकिन अभ्यास का समय धीरे-धीरे ही बढ़ाए तो बेहतर होगा।

वज्रोली मुद्रा के नुकसान – Vajroli Mudra Ke Nuksan

वज्रोली मुद्रा का अभ्यास यदि सही तरीके से किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाए तो इसका किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं है। वज्रोली मुद्रा शरीर को मजबूत व स्वस्थ रखने में मदद करती है, इसके अभ्यास से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन आपको ऊपर बताई गई सावधानियों का भी ध्यान रखना होगा।

निष्कर्ष – Conclusion

योग में वज्रोली मुद्रा (vajroli mudra in hindi) का एक अहम स्थान है, इस क्रिया को कुछ ही साधक कर पाते हैं। कहा जाता है की जब साधक इस क्रिया में निपुण हो जाता है तो वह अपने लिंग से वीर्य को खींचने की भी शक्ति रखता हैं, जिससे वीर्य का नाश न हो और शरीर में शक्ति बनी रहे। इस क्रिया को करने के लिए मजबूत मानसिक शक्ति की जरुरत होती है, मन ही है जो इस तरह की जटिल क्रिया को करने की शक्ति प्रदान करता है। 

उम्मीद है की वज्रोली मुद्रा के फायदे (vajroli mudra benefits in hindi) से संबंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपने इससे कुछ नया सीखा होगा। यदि आपके मन में कोई सवाल हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। साथ ही इसी तरह की जानकारियों के लिए इस ब्लॉग के अन्य आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।

Disclaimer : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं हो सकता। इजी लाइफ हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है, इस तरह के किसी भी उपचार, दवा, डाइट इतियादी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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