अश्विनी मुद्रा : फायदे, विधि, सावधानियां व नुकसान | Ashwini Mudra in Hindi

ashwini mudra in hindi : योगासन व प्राणायाम की तरह योग मुद्राएं भी मानसिक तनाव व शारीरिक समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार होती हैं। आज हम आपको एक ऐसी योग मुद्रा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके अनगिनत लाभ हैं। हम अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra in hindi) के बारे में बात कर रहे हैं। अश्विनी मुद्रा के नियमित अभ्यास से तनाव कम होता है, शरीर में ऊर्जा व स्टैमिना की वृद्धि होती है और गुदाद्वार से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra benefits in hindi) यौन समस्याओं के लिए भी अच्छे हैं।

अश्विनी संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ घोड़ा होता है। ऐसे में इसके नाम से जाहिर हो जाता है की अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) का संबंध कहीं न कहीं घोड़े से है। दरअसल, ऐसा माना जाता है की इसके नियमित अभ्यास से शरीर में घोड़े जैसी ताकत, ऊर्जा व स्टैमिना बढ़ता है और शरीर निरोगी रहता है। इसलिए अश्विनी मुद्रा को इतना शक्तिशाली माना गया है।

अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra ke fayde) प्राप्त करने के लिए इसका अभ्यास सही तरीके से करना जरुरी होता है। देखा जाए तो अश्विनी मुद्रा का अभ्यास ज्यादा कठिन नहीं है, कुछ बातों का ध्यान रखकर आप आसानी से इसका अभ्यास का सकते हैं। लेख में आगे अश्विनी मुद्रा की विधि, अश्विनी मुद्रा के फायदे और नुकसान और इससे जुड़ी सावधानियों (ashwini mudra in hindi) के बारे में बताया गया है।

अश्विनी मुद्रा क्या है – Ashwini Mudra in Hindi

ashwini mudra in hindi

अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) का संबंध घोड़े से होता है। संस्कृत में अश्व, घोड़े को कहा जाता है। क्या आपने कभी सोचा है की जब भी स्टैमिना, शक्ति और ऊर्जा की बात आती है तो हमेशा घोड़े का ही उदहारण क्यों दिया जाता है। शेर या हाथी का उदाहरण क्यों नहीं दिया जाता। शायद कुछ लोगों को यह ज्ञात न हो। लेकिन प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुन्नियों ने घोड़े की इस शक्ति का राज खोज निकाला था।

घोड़े की ऊर्जा, स्टैमिना व ताकत का राज उसकी एक खास आदत में छुपी हुई होती है। अगर आपने कभी गौर किया हो तो घोडा हमेशा ही अपने गुदाद्वार (anus) को खोलता और बंद करता रहता है, यानी बार-बार गुदाद्वार को सिकोड़ता है और ढीला छोड़ता है। घोड़े की यही आदत और क्रिया उसे अन्य प्राणियों से ज्यादा ताकतवर और ऊर्जावान बनाती है। घोड़े की इसी क्रिया को अश्विनी योग मुद्रा (ashwini mudra) का नाम दिया गया।

अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra in hindi) का अभ्यास करके घोड़े जैसी ताकत व ऊर्जा हासिल की जा सकती है। साथ ही इसके अभ्यास से कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याओं में भी लाभ मिलता है। मलद्वार, योनि, लिंग व पेट से संबंधित समस्याओं के लिए इसे काफी उपयोगी माना जाता है। नीचे अश्विनी के फायदे (ashwini mudra ke fayde) के बारे में विस्तार से बताया गया है।

अश्विनी मुद्रा के फायदे – Ashwini Mudra Benefits in Hindi 

Ashwini Mudra Benefits in Hindi 

1. शरीर में ऊर्जा बढ़ाए 

अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra in hindi) के अभ्यास का सबसे बड़ा लाभ यह है की इससे शरीर में ऊर्जा का विकास होता है। किसी भी कार्य को करने के लिए शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है, शरीर जितना ऊर्जावन होगा उतना ही स्वस्थ व फिट भी रहेगा। लेकिन आजकल गलत खानपान व अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण कई लोग शरीर में एनर्जी की कमी महसूस करते हैं। अश्विनी मुद्रा का संबंध घोड़े से है और ऐसा माना जाता है की इसके अभ्यास से शरीर को घोड़े जैसी ऊर्जा प्राप्त होती है। 

2. बवासीर के लिए अश्विनी मुद्रा के फायदे 

अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra benefits in hindi) गुदाद्वार से जुड़ी समस्याओं के लिए काफी अच्छे होते हैं। इसके नियमित अभ्यास से गुदाद्वार की गंभीर समस्याओं जैसे बवासीर, अर्श व भगंदर से बचा जा सकता है। ऐसा माना जाता है की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास बवासीर के शुरूआती लक्षणों को कम करने में काफी मददगार होता है, लेकिन इसका अभ्यास आपको अपनी चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए। 

3. पुरषों के लिए अश्विनी मुद्रा के लाभ 

अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) पुरषों के लिए एक बेहतरीन एक्सरसाइज है, इसके निरंतर अभ्यास से पुरषों की शिग्रपतन की समस्या दूर हो सकती है। अश्विनी मुद्रा से श्रोणि की मांसपेशियों में खिंचाव पड़ता है जिससे श्रोणि मसल्स मजबूत होती है और शरीर में यौन शक्ति का विकास होता है। साथ ही स्वप्नदोष के लिए भी अश्विनी मुद्रा के फायदे अच्छे माने जाते हैं। 

4. महिलाओं के लिए लाभकारी

ऐसा नहीं है की अश्विनी मुद्रा (ashwini yoga mudra) केवल पुरुषों के लिए ही हितकारी है, यह महिलाओं के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसके नियमित अभ्यास से गर्भाशय की मांसपेशियां मजबूत व स्वस्थ रहती हैं, इससे गर्भाशय से जुड़ी कई समस्याओं से बचाव में मदद मिलती है। साथ ही इससे पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में भी थोड़ी राहत मिल सकती है। लेकिन ध्यान रहे की गर्भावस्था व पीरियड्स के दौरान अश्विनी मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 

5. पेट की समस्याओं से राहत दिलाए 

अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra ke fayde) की आगे बात करें तो इसका अभ्यास पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। इससे पेट की गैस, एसिडिटी, अपच व कब्ज जैसी समस्याओं से काफी राहत मिलती है। साथ ही यह पाचन को भी मजबूत बनाने में मददगार होता है।       

6. मूत्र रोगों में लाभदायक 

बारबार पेशाब आना, रुक-रुक कर पेशाब आना या पेशाब करते समय दर्द महसूस होना जैसी समस्याओं के लिए भी अश्विनी मुद्रा का अभ्यास फायदेमंद होता है। मूत्र संबंधी रोगों के लिए इसे बेहद लाभकारी माना गया है। दरअसल, इससे पेल्विक मसल्स मजबूत होती हैं जिससे मूत्र रोगों में काफी लाभ मिलता है।   

7. त्वचा की चमक बढ़ाए 

अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra benefits in hindi) त्वचा के लिए भी अच्छे हैं। इसका नियमित अभ्यास करते रहने से चेहरे पर चमक व रौनक बढ़ती है और त्वचा से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं। एक तरह से यह त्वचा का तेज बढ़ाने में मदद करता है, अतः इसके अभ्यास से आप स्वस्थ व चमकदार त्वचा पा सकते हैं।  

8. तनाव व अवसाद कम करे

अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) करने से तनाव व अवसाद भी कम होता है और मन शांत रहता है। तनाव व अवसाद से जूझ रहे लोगों को योगासन व प्राणायाम के अलावा अश्विनी मुद्रा का अभ्यास भी जरूर करना चाहिए। इसके अलावा यह स्मरण शक्ति को भी बढ़ाने में मदद करता है।

अश्विनी मुद्रा की विधि – Ashwini Mudra Kaise Kare

  • अश्विनी मुद्रा करने के लिए किसी शांत जगह का चुनाव करें।
  • सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाकर आराम से सुखासन या पद्मासन में बैठ जाए।
  • 4-5 बार लंबी व गहरी सांस लें और सांसों पर ध्यान केंद्रित रखें।
  • उसके बाद सांसों की गति को सामान्य कर लें।
  • फिर ध्यान सांसों से हटाकर गुदाद्वार (anus) की ओर ले जाएं।
  • अब मलद्वार को अंदर की तरफ सिकोड़े और कुछ देर इसी अवस्था में ठहरने की कोशिश करें।
  • फिर मलद्वार को धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में ले आए।
  • इसे ही अश्विनी योग मुद्रा कहा जाता है।
  • यह प्रक्रिया कुछ देर तक लगातार करते रहें।
  • लेकिन शरीर के साथ किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती न करें।

अश्विनी मुद्रा की सावधानियां – Ashwini Mudra Precautions in Hindi

  • अश्विनी मुद्रा का अभ्यास हमेशा सुबह खाली पेट ही करना चाहिए, भोजन के तुरंत बाद इसका अभ्यास न करें।
  • भोजन करने के कम से कम 5-6 घंटे के बाद शाम के समय भी इसका अभ्यास किया जा सकता है।
  • अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से पहले मल-मूत्र भी त्याग लें। आपका पेट जितना खाली होगा उतना अच्छा है।
  • मूत्र व मलद्वार से जुड़ी किसी तरह की समस्या में इसके अभ्यास से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
  • इसके अलावा इसके अभ्यास के दौरान शरीर के साथ किसी प्रकार की कोई जोर जबरदस्ती न करें।
  • जितनी देर संभव हो उतनी देर ही इसका अभ्यास करें, जोर-जबरदस्ती ज्यादा देर तक इसका अभ्यास न करें।

अश्विनी मुद्रा के नुकसान – Ashwini Mudra Side Effects in Hindi

  • गर्भवती महिलाओं के लिए अश्विनी मुद्रा का अभ्यास ठीक नहीं होता, इसलिए गर्भवस्था के दौरान इसका अभ्यास न करें।
  • महिलाओं को पीरियड्स के दौरान भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • गुदाद्वार से जुड़ी किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

सरल शब्दों में कहे तो यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई गंभीर समस्या या रोग है तो आपको अपने चिकत्सक की सलाह से ही अश्विनी मुद्रा (ashwini mudra) का अभ्यास करना चाहिए। यदि इस बात का और ऊपर बताई गई सावधानियों पर ध्यान देकर आप सही विधि से अश्विनी मुद्रा करेंगे और इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा।

अश्विनी मुद्रा कब और कितनी देर करनी चाहिए

अश्विनी मुद्रा का अभ्यास सुबह खाली पेट कर सकते हैं। शाम के समय भी इसका अभ्यास किया जा सकता है लेकिन उस समय भी आपका पेट पूरी तरह से खाली होना चाहिए। जितनी देर आप इसका अभ्यास करना चाहे कर सकते हैं, इसका कोई नियम नहीं है की आपको इतनी देर तक ही अभ्यास करना है। आप शरीर के साथ बिना कोई जोर जबरदस्ती किए जब तक चाहे तब तक इसका अभ्यास कर सकते हैं।

अश्विनी मुद्रा और वज्रोली मुद्रा में अंतर

अश्विनी मुद्रा की तरह वज्रोली मुद्रा भी स्वस्थ और फिट रहने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा है। वज्रोली मुद्रा के फायदे भी कुछ हद तक अश्विनी मुद्रा जैसे ही हैं। कुछ लोग अश्विनी मुद्रा और वज्रोली मुद्रा में अंतर पता नहीं लगा पाते और दोनों को एक ही योग मुद्रा समझ बैठते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। वज्रोली मुद्रा और अश्विनी मुद्रा में एक सूक्ष्म सा अंतर है।

अश्विनी मुद्रा में गुदाद्वार को संकुचित किया जाता है जबकि वज्रोली मुद्रा में अंडकोष और गुदाद्वार के बीच के हिस्से को संकुचित किया जाता है। इसके साथ ही वज्रोली मुद्रा की अन्य विधियां भी हैं जो बहुत ज्यादा जटिल है, इसमें लिंग के छेद से पानी, दूध या शहद को ऊपर की और खींचा जाता है। इस विधि को केवल योग में माहिर लोग ही कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – FAQs

क्या अश्विनी मुद्रा स्तंभन दोष को ठीक कर सकती है?

अश्विनी मुद्रा पेल्विक मांसपेशियों को उत्तेजित करने में मदद करती है, जिससे काफी हद तक स्तंभन दोष में लाभ मिल सकता है।

अश्विनी मुद्रा कितनी बार करना चाहिए?

अश्विनी मुद्रा का अभ्यास आप दिन में दो बार सुबह-शाम कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की इसका अभ्यास हमेशा खाली पेट ही करें।

अश्विनी मुद्रा करने से क्या होता है?

अश्विनी मुद्रा करने से तनाव कम होता है, मलद्वार से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं, सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ता है, स्तंभन दोष में लाभ मिलता है, मूत्र रोगों में लाभ मिलता है और पाचन व पेट से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।

अश्विनी मुद्रा कब नहीं करनी चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान व मलद्वार से संबंधित समस्याओं में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

सारांश – Conclusion

अश्विनी योग मुद्रा (ashwini mudra in hindi) एक बहुत की प्रभावशाली योग मुद्रा है, फिर भी बहुत कम लोग इसके बारे में जानकारी रखते हैं। अश्विनी मुद्रा मुख्यतः हमारे पेल्विक एरिया को मजबूत बनाता है जिसका संबंध यौन क्रिया और गुदाद्वार से होता है। इसके निरंतर अभ्यास से यौन और गुदाद्वार से संबंधी समस्याएं दूर होती है साथ ही पेट और मानसिक बीमारियों के लिए अश्विनी मुद्रा फायदेमंद होता है।

उम्मीद है की अश्विनी मुद्रा के फायदे (ashwini mudra benefits in hindi) से संबंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आपके मन में कोई सवाल हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। साथ ही इसी तरह की जानकारियों के लिए आप इजी लाइफ हिंदी के अन्य आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।

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Disclaimer : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं हो सकता। इजी लाइफ हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है, इस तरह के किसी भी उपचार, दवा, डाइट इतियादी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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